भारत की डिजिटल दुनिया में एक नया विवाद सुर्खियों में है, जिसमें लोकप्रिय यूट्यूबर मोहक मंगल ने देश की प्रमुख समाचार एजेंसी Asian News International (ANI) पर गंभीर आरोप (Mangal Mohak Vs ANI) लगाए हैं। मोहक ने दावा किया है कि ANI ने उनके यूट्यूब वीडियो में महज 9 सेकंड की क्लिप के इस्तेमाल के लिए कॉपीराइट स्ट्राइक दी और इसे हटाने के लिए 45-50 लाख रुपये की मांग की। इस मामले ने न केवल डिजिटल क्रिएटर्स के बीच हलचल मचाई है, बल्कि सोशल मीडिया पर गुस्सा, बहस और सरकारी नियमों पर सवाल उठाने का कारण भी बना है। आइए विवाद की गहराई में उतरतें है, और समझते हैं अलग अलग पहलुओं को…
विवाद की शुरुआत: क्या है पूरा मामला?
मोहक मंगल, जिनके यूट्यूब चैनल पर लाखों सब्सक्राइबर्स हैं और जो सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर गहन विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में एक वीडियो में ANI पर गंभीर आरोप लगाए। उनके अनुसार, उन्होंने अपने 33 मिनट के एक वीडियो में, जो भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का समर्थन करता था, ANI की 9 सेकंड की फुटेज का इस्तेमाल किया। इसके जवाब में ANI ने यूट्यूब पर कॉपीराइट स्ट्राइक (Mangal Mohak Vs ANI) दायर की, जिसके परिणामस्वरूप मोहक का वीडियो हटा दिया गया। मोहक का दावा है कि ANI ने इस स्ट्राइक को हटाने के लिए उनसे 48 लाख रुपये (प्लस जीएसटी) की मांग की, जिसे उन्होंने “रंगदारी” करार दिया। मोहक ने इस मुद्दे को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर उठाया, जिसमें उन्होंने इसे न केवल अपनी व्यक्तिगत समस्या बल्कि भारत के क्रिएटर इकोसिस्टम के लिए खतरा बताया।
मोहक ने अपने दावों के समर्थन में ANI के कर्मचारियों के साथ हुई बातचीत के ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग्स भी साझा कीं, जिसमें कथित तौर पर 30-40 लाख रुपये की वार्षिक सब्सक्रिप्शन फीस की मांग की गई थी। इस मामले ने जल्द ही सोशल मीडिया, खासकर X पर तूफान ला दिया, जहां कई बड़े यूट्यूबर्स और प्रभावशाली हस्तियों ने मोहक के समर्थन में आवाज उठाई।
सोशल मीडिया पर गुस्सा और समर्थन
इस विवाद ने X पर व्यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न की। स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने यूट्यूब इंडिया को टैग करते हुए लिखा, “ANI को यह माफिया क्यों चलाने दे रहे हैं? क्रिएटर्स आपके प्लेटफॉर्म को बनाते हैं, ये गुंडे नहीं।” एक अन्य यूजर
ध्रुव राठी, जो अपने सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषणों के लिए जाने जाते हैं, ने इस मामले में मोहक मंगल को पूर्ण समर्थन दिया है। X पर एक पोस्ट में ध्रुव ने कहा, “मोहक को मेरा पूरा समर्थन। ऐसा लगता है कि ANI एक उगाही रैकेट चला रही है। सभी क्रिएटर्स को इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।” ध्रुव ने ANI के कार्यों को “डिजिटल रंगदारी” करार देते हुए यूट्यूब के कॉपीराइट सिस्टम (Mangal Mohak Vs ANI) के दुरुपयोग पर सवाल उठाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्रिएटर्स को एक साथ आकर इस तरह की प्रथाओं का विरोध करना चाहिए, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनी रहे। ध्रुव का रुख स्पष्ट रूप से ANI के खिलाफ है, और उन्होंने इसे न केवल मोहक की व्यक्तिगत समस्या, बल्कि पूरे क्रिएटर समुदाय के लिए खतरे के रूप में देखा।
श्याम रंगीला, जो अपने व्यंग्यात्मक और राजनीतिक कंटेंट के लिए प्रसिद्ध हैं, ने भी मोहक मंगल का समर्थन किया है। X पर पोस्ट्स के अनुसार, श्याम ने इस मुद्दे को क्रिएटर्स के खिलाफ एक बड़े दुरुपयोग के रूप में देखा। हालांकि, श्याम ने कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया, लेकिन उनकी सहमति मोहक के पक्ष में है, और उन्होंने इसे यूट्यूब कम्युनिटी के लिए एक चिंताजनक घटना माना। श्याम का समर्थन इस बात को दर्शाता है कि वे ANI की कार्रवाइयों को क्रिएटर्स की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं, खासकर जब यह छोटे या स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर्स को निशाना बनाता है।
नीतीश राजपूत, जो अपने तथ्य-आधारित और तटस्थ विश्लेषणों के लिए जाने जाते हैं, ने भी इस विवाद में मोहक मंगल का साथ दिया। X पर उनकी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा, “यूट्यूब को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि क्रिएटर्स को वर्षों की मेहनत के बाद असहाय महसूस न करना पड़े।” नीतीश ने कॉपीराइट स्ट्राइक के दुरुपयोग पर चिंता जताई और इसे क्रिएटर्स के लिए एक गंभीर समस्या बताया। उनकी प्रतिक्रिया में यूट्यूब की नीतियों में सुधार की मांग थी, ताकि क्रिएटर्स को ऐसी परिस्थितियों से बचाया जा सके। नीतीश का रुख तटस्थता की उनकी छवि के अनुरूप है, जहां उन्होंने ANI की कार्रवाइयों की आलोचना की, लेकिन इसे सिस्टमिक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया।
@RohitAnubhuti ने लिखा, “मोहक मंगल ने ANI की वॉयस रिकॉर्डिंग साझा की है, जिसमें 40 लाख रुपये की मांग की गई है। क्या मीडिया अब कंटेंट नहीं, डर बेच रहा है? यह पत्रकारिता है या रंगदारी?”
@BongRebel ने इसे “डिजिटल सेंसरशिप” का मामला बताते हुए लिखा, “ANI ने 9 सेकंड की क्लिप के लिए 50 लाख रुपये मांगे। फेयर यूज को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
ये प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि मोहक के आरोपों ने न केवल क्रिएटर्स बल्कि आम जनता के बीच भी गुस्सा पैदा किया है। कई लोगों ने इसे कॉर्पोरेट दबाव और डिजिटल क्रिएटर्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना है।
@HimaJournalist ने इसे “डिजिटल आतंकवाद” तक करार दिया, यह पूछते हुए कि क्या ANI की यह हरकत यूट्यूब क्रिएटर्स के भविष्य को खतरे में डाल रही है।
ANI और स्मिता प्रकाश का पक्ष
ANI की संपादक स्मिता प्रकाश इस विवाद में सीधे तौर पर निशाने पर हैं, क्योंकि कई X पोस्ट्स में उनका नाम लिया गया है। वो कहती है, पायरेसी फ्री स्पीच कैसे हो सकती है? X पोस्ट में एक लिंक भी शेयर किया है।
@KanojiaPJ ने लिखा, “ANI का मुख्य काम यूट्यूबर्स से धन उगाही करना है। स्मिता प्रकाश, शर्म करो, यह संगठित अपराध है।” हालांकि, ANI ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया है कि ANI अपनी कार्रवाइयों को “कानूनी लाइसेंसिंग” का हिस्सा बताती है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है। (Mangal Mohak Vs ANI)
ANI के पक्ष में तर्क दिया जा सकता है कि समाचार एजेंसियां अपनी सामग्री के कॉपीराइट की रक्षा के लिए सख्त कदम उठा सकती हैं। उनकी फुटेज का उपयोग बिना अनुमति के करना तकनीकी रूप से कॉपीराइट उल्लंघन हो सकता है। हालांकि, मोहक और अन्य क्रिएटर्स का कहना है कि इतनी छोटी क्लिप का उपयोग “फेयर यूज” के दायरे में आता है, जो समाचार, समीक्षा, या शैक्षिक उद्देश्यों के लिए सीमित सामग्री के उपयोग की अनुमति देता है।
सरकारी नियम और फेयर यूज का सवाल
भारत में कॉपीराइट कानून, विशेष रूप से कॉपीराइट एक्ट, 1957, के तहत “फेयर यूज” या “फेयर डीलिंग” की अवधारणा को मान्यता दी गई है। इसके तहत, समाचार, आलोचना, समीक्षा, या शैक्षिक उद्देश्यों के लिए कॉपीराइट सामग्री का सीमित उपयोग किया जा सकता है। मोहक का दावा है कि उनकी 9 सेकंड की क्लिप का उपयोग इस श्रेणी में आता है, और ANI का स्ट्राइक फेयर यूज के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
हालांकि, यूट्यूब का कॉपीराइट स्ट्राइक सिस्टम स्वचालित और जटिल है, जो अक्सर कॉपीराइट धारकों के पक्ष में काम करता है। तीन स्ट्राइक मिलने पर यूट्यूब चैनल डिलीट हो सकता है, जिससे क्रिएटर्स के लिए यह एक गंभीर खतरा बन जाता है। मोहक ने इस सिस्टम के दुरुपयोग (Mangal Mohak Vs ANI) का आरोप लगाया है, और कई अन्य यूट्यूबर्स, जैसे सत्य, ने भी ANI पर समान आरोप लगाए हैं।
सरकारी स्तर पर, इस मामले ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय का ध्यान खींचा है। मोहक ने मंत्री अश्विनी वैष्णव से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि क्रिएटर्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अर्थव्यवस्था को नुकसान न पहुंचे। हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या है असली मुद्दा?
इस विवाद में कई तर्क और वितर्क सामने आते हैं। एक ओर, ANI जैसे समाचार संगठन अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा का दावा कर सकते हैं। उनकी फुटेज का उत्पादन महंगा होता है, और वे इसका व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित करना चाहते हैं। दूसरी ओर, मोहक जैसे क्रिएटर्स का कहना है कि इतनी छोटी क्लिप का उपयोग शैक्षिक या समीक्षात्मक उद्देश्यों के लिए किया गया, जिसे कॉपीराइट उल्लंघन नहीं माना जाना चाहिए। इसके अलावा, इतनी बड़ी राशि की मांग को “रंगदारी” कहना भी अतिशयोक्ति नहीं लगता, क्योंकि यह क्रिएटर्स पर अनुचित दबाव डालता है।
X पर कई यूजर्स ने इसे डिजिटल क्रिएटर्स के खिलाफ कॉर्पोरेट दबदबे का उदाहरण बताया है। @NalinisKitchen ने लिखा, “ANI ने 8 सेकंड के फुटेज के लिए 45 लाख मांगे। यह नया extortion का तरीका है।” यह सवाल भी उठता है कि क्या ANI जैसे संगठन यूट्यूब के कॉपीराइट सिस्टम का दुरुपयोग करके छोटे क्रिएटर्स को निशाना बना रहे हैं, जबकि बड़े मीडिया हाउस बिना किसी परिणाम के समान सामग्री का उपयोग करते हैं।
पत्रकारिता या धन उगाही?
मोहक मंगल और ANI के बीच यह विवाद केवल एक कॉपीराइट स्ट्राइक का मामला नहीं है; यह डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कॉर्पोरेट जवाबदेही, और क्रिएटर इकोसिस्टम के भविष्य का सवाल है। मोहक के समर्थन में उठी आवाजें और सोशल मीडिया पर गुस्सा दर्शाता है कि लोग इसे पत्रकारिता के दुरुपयोग (Mangal Mohak Vs ANI) के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर, ANI की चुप्पी और स्मिता प्रकाश का कोई स्पष्ट जवाब न देना इस विवाद को और गहरा रहा है।
इस मामले का समाधान सरकारी हस्तक्षेप, यूट्यूब की नीतियों में सुधार, या कानूनी कार्रवाई के रूप में हो सकता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत के डिजिटल क्रिएटर्स और मीडिया संगठनों के बीच रिश्ते को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। क्या यह पत्रकारिता का नया रूप है, या डिजिटल रंगदारी का? इसका जवाब भविष्य में इस विवाद के निपटारे पर निर्भर करता है।
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