भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते कूटनीतिक और सैन्य तनाव के बीच सऊदी अरब की मध्यस्थता की कोशिशें वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गई हैं। सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदिल अल-जुबैर की हालिया भारत और पाकिस्तान यात्राओं को तनाव कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।इस्लामाबाद में शहबाज़ शरीफ़ और जनरल मुनीर से मुलाकातआदिल अल-जुबैर ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात की।

इन मुलाकातों में क्षेत्रीय सुरक्षा, कूटनीतिक सहयोग और तनाव को कम करने की संभावनाओं पर चर्चा की गई। इस उच्चस्तरीय बातचीत को पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के साथ समन्वय स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

नई दिल्ली में भारत के साथ भी हुई बातचीत इससे एक दिन पहले आदिल अल-जुबैर नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से भी मिले। भारत की विदेश नीति से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों के अलावा भारत-पाकिस्तान संबंधों में मध्यस्थता के प्रयासों के तहत हुई थी।

क्या सऊदी अरब निभा सकता है ‘ब्रिज’ की भूमिका?

माना जा रहा है कि सऊदी अरब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए ‘बैक चैनल डिप्लोमेसी’ का सहारा ले रहा है। क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सऊदी अरब की सक्रियता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दोनों देशों के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध रखता है।

कूटनीतिक संतुलन का प्रयास विश्लेषकों का मानना है कि सऊदी अरब इस समय भूराजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ वह भारत के साथ उर्जा और निवेश संबंधों को मजबूत कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह पाकिस्तान की आर्थिक सहायता और रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने की दिशा में भी सक्रिय है।सऊदी अरब की यह पहल दर्शाती है कि मध्य पूर्व की ताकतवर अर्थव्यवस्थाएं अब दक्षिण एशिया की स्थिरता में भी अहम भूमिका निभाना चाहती हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच अगर कोई शांति प्रक्रिया दोबारा शुरू होती है, तो इसमें सऊदी अरब की यह पहल निर्णायक हो सकती है।

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